Sunday, 28 May 2017

Thought's of the day

"Laughter is the fireworks of the soul."
  हँसी आत्मा की आतिशबाजी है !
                                                     Josh Billings.                                                
                                                 
                                                  

Mirza Galib shayari

इश्क़ ने गालिब हमे निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के ।

Wednesday, 24 May 2017

Merry Christmas in Hindi / merry Christmas से जुड़ी रोचक बाते

क्यों मनाया जाता है क्रिसमस ?

यह अज्ञात है कि कब और क्यों 25 दिसंबर मसीह के जन्म के साथ जुड़ गया। नया नियम भी निश्चित तिथि नहीं बताता है कि कब 25 दिसंबर ईसा मसीह के जन्म के साथ जोड़ा गया। 221 ईस्वी  में एक पुस्तक लिखी गई जिसमें यह विचार लोकप्रिय किया गया है कि ईसा मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था लेकिन पुराने इसाई मानते हैं कि इस तारीख को मसीह को क्रूस पर चढ़ाया गया था। ईसाई विचार है कि मसीह को  क्रूस पर चढ़ाया गया था ।


जीसस क्राइस्ट को सम्मान देने के लिए उनके बताए गए राह पर चलने के लिए क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाता है । यह त्यौहार हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। । जीसस क्राइस्ट एक महान व्यक्ति थे। उन्होंने समाज को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी थी। उन्होंने दुनिया को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश भी दिया था ।उन्हें ईश्वर का इकलौता पुत्र माना जाता है।

क्रिसमस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-

1.क्रिसमस का त्योहार ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है ।

2.क्रिसमस क्रिश्चियन समुदाय का सबसे बड़ा और खुशी का त्यौहार है ,इस कारण इसका नाम बड़ा दिन भी कहा जाता है।

3.क्रिसमस के 15 दिन पहले से ही मसीह समाज के लोग इस की तैयारियों में जुट जाते हैं !

4.इसमें घरों की सफाई की जाती है, नए कपड़े खरीदे जाते हैं और बहुत प्रकार के भोजन बनाए जाते हैं।

5. क्रिसमस के दिन विशेष रूप से चर्चा को सजाया जाता है !

6.क्रिसमस के दिन बहुत सारे कार्यक्रम चर्च में होते हैं !

7.25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है !

8.कई जगह क्रिसमस के दिन जुलूस भी निकाला जाता है जिसमें यीशु मसीह की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं ।

9.क्रिसमस की पूर्व रात्रि गिरजाघरों में रात्रि कालीन प्रार्थना की जाती है जो रात के 12:00 बजे तक चलती है ठीक 12:00 बजे लोग अपने प्रियजनों को क्रिसमस की बधाइयां देते हैं और खुशियां मनाते हैं !

10.क्रिसमस की सुबह विशेष प्रार्थना गिरजाघरों में की जाती है 

11.क्रिसमस में प्रमुख व्यंजन केक होता है।

12. सांताक्लॉज बच्चों को चॉकलेट्स और गिफ्ट देते हैं !


13. क्रिसमस ईसाइयों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है !

Guru Govind Singh details in hindi / गुरु गोविंद सिंह की जीवनी

नाम - गुरु गोविंद सिंह
जन्म तिथि -1666 ईस्वी
जन्म स्थान - पटना
पिता का नाम - गुरु तेग बहादुर साहब
माता का नाम - गुजरी
स्वर्गवास की तिथि – 7 अक्टूबर 1708

जन्म

बिहार राज्य की राजधानी पटना में गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 1666 ईस्वी में हुआ था । गुरु गोविंद सिंह ,गुरु तेग बहादुर साहब के इकलौते संतान के रूप में जन्मे ।गुरु गोविंद सिंह की माता का नाम गुजरी था।

श्री गुरु तेग बहादुर सिंह ने जब अपने गुरु गद्दी पर बैठने के पश्चात आनंदपुर में एक नए नगर का निर्माण किया था और उसके बाद भारत की यात्रा पर निकल पड़े थे। जब गुरु तेग बहादुर बिहार की राजधानी पटना पहुंचे तो वहां के लोगों ने उनसे प्रार्थना की कि गुरु पटना में रहे। ऐसे समय में गुरु तेग बहादुर सिंह अपने परिवार को पटना में ही छोड़कर बंगाल होते हुए आसाम की ओर चले गए पटना की संगत ने गुरु के परिवार को रहने के लिए एक सुंदर भवन का निर्माण करवाया,जहां गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ। तब गुरु तेग बहादुर को आसाम सूचना भेजा गया कि उनके पुत्र का जन्म पटना में हुआ है।

गुरु गोविंद सिंह के जन्म के समय सियाणा गांव में एक मुसलमान संत भीखण शाह फकीर भी रहते थे उन्होंने ईश्वर की बहुत भक्ति की थी जिसके कारण वह परमात्मा के समान ही लगते थे पटना में जब गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ उस समय भी भीखण शाह अपने गांव में समाधि में लिप्त थे उसी आस्था में उन्हें प्रकाश की एक नई किरण दिखाई दी ,जिसमें उन्होंने एक नवजात जन्मे बालक का प्रतिबिंब भी देखा। भीखण शाह  यह समझ गए हैं कि दुनिया में कोई ईश्वर के प्रिय पीर का अवतरण हुआ है यह कोई और नहीं गुरु गोविंद सिंह जी ही ईश्वर के अवतार हुए थे !

उनका पारिवारिक जीवन
       
गुरु गोविंद सिंह की तीन शादियां हुई थी जिसमें उनकी पहली शादी माता जीतू के साथ हुई। माता जीतू से उनको 3 पुत्र जुझार सिंह ,जोरावर सिंह और फतेह सिंह का जन्म हुआ उनकी दूसरी शादी सुंदरी देवी के साथ हुई थी सुंदरी देवी से उनको एक पुत्र अजीत सिंह हुए थे ।उनकी तीसरी शादी साहिब देवन से हुई थी उनसे उनको कोई संतान नहीं था उनके दो पुत्र अजीत सिंह और जुझार सिंह चमकोर नामक स्थान पर युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे और इनके दो पुत्र जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहिंद के नवाब ने अपना धर्म नहीं छोड़ने के कारण जिंदा दीवारों में चुनवा दिया था। गुरु गोविंद सिंह का सब कुछ लूट जाने के बाद भी उनके चेहरे पर कभी भी मायूसी नहीं आई थी, बल्कि देश को स्वतंत्र और शक्तिशाली बनाने का उनमें सदा जुनून रहा था इसलिए गुरु गोविंद सिंह को मानवता की रक्षा के लिए लड़ने वाला संत सिपाही की उपाधि दी गई थी।


उनके द्वारा किए गए कार्य-

गुरु गोविंद सिंह जी के महत्वपूर्ण कामों में सबसे महत्वपूर्ण काम है -खालसा पंथ की स्थापना ।

उन्होंने सन 1699 में बैसाखी के दिन खालसा जो सीख धर्म के दीक्षा प्राप्त अनुयायियों का एक सामूहिक समूह है उसका निर्माण किया। एक सभा में गुरु गोविंद सिंह ने कहा कौन है जो अपने सिर का बलिदान देगा और एक व्यक्ति अपने सिर का बलिदान देने के लिए तैयार हो गया उसे गुरु गोविंद सिंह पर्दे के पीछे ले गए और जब वह लौटे तो उनके हाथ में खून से सनी हुई तलवार थी फिर उन्होंने पूछा कौन अपना बलिदान देगा तो इस तरह 5 लोग तैयार हुए और हर बार वह उन्हें पर्दे के पीछे ले गए और हर बार खून से सनी तलवार लेकर लौटे लेकिन अंत में उन्होंने उन पांचो सिखों को सबके सामने लाया और उनको पहले पांच खालसा का नाम दिया और पांच खालसा बन जाने के बाद उन्हें छठवा खालसा का नाम दिया गया जिसके बाद उनका नाम गुरु गोविंद राय से गुरु गोविंद सिंह रख दिया गया। गुरु गोविंद सिंह जी एक योद्धा होने के साथ-साथ एक बेहतरीन कवि  भी थे गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु की पदवी को समाप्त करके गुरु ग्रंथ साहिब को सिक्खों का गुरु बनाया और आदेश दिया कि आगे से कोई भी देहधारी गुरु नहीं होगा और गुरु वाणी और गुरु ग्रंथ साहिब ही सिखों के लिए गुरु सामान्य होगी।


 गुरु गोविंद सिंह के उपदेश

1. गुरु गोविंद सिंह जी ने नशीले पदार्थ के सेवन का विरोध किया !

2. उन्होंने ध्रुमपान और अन्य मादक पदार्थों के सेवन का भारी विरोध किया है !

3.गुरु गोविंद सिंह जी ने जुआ खेलने का विरोध किया है दूसरे के धन को हड़पने की प्रवृत्ति को घातक बताया है !

4.गुरु गोविंद सिंह ने अपने शिष्यों को ब्रह्मचर्य का पाठ पढ़ाया है इसी कारण उनके शिष्य शरीर से बलशाली होते थे ।इसी कारण छोटी सी सेना ने मुगलों को नाको चने चबा दिया था उनके अनुसार यदि मनुष्य अपनी इंद्रियों को वश में कर ले तो वह जीवन में कुछ भी हासिल कर सकता है !

5.गुरु गोविंद सिंह ने अपने शिष्यों को सदा शस्त्र पास रखने और युद्ध कला में निपुण होने की सीख दी थी उनके अनुसार शस्त्रधारी सैनिक और भरी बंदूक की गोली के भय से लोग कानून का पालन करते हैं !

गुरु गोविंद सिंह के मुताबिक उनके शिष्य चाहे वह किसी जाति में उत्पन्न हुए हैं उन्हें केवल क्षत्रिय समझना चाहिए युद्ध क्षेत्र में मरना परम मंगल की बात है इस संसार रूपी युद्ध क्षेत्र में बहादुर वीर सैनिक अपना मस्तक ऊंचा रखता है। गुरु गोविंद सिंह ने हमेशा अपने शिष्यों को बहादुरी का पाठ पढ़ाया था और जब भी बहादुरी की बात आती है तो उनकी वह कहावत सदा याद की जाती है !

सवा लाख से एक लड़ाऊं
तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊं
चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊं
तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊं !
  
कैसे मनाया जाता है गुरु की जयंती ?

गुरु की जयंती के दिन सभी सिख स्त्री-पुरुष ,बच्चे-बूढ़े सुबह स्नान कर लेते हैं उसके बाद गुरुद्वारे जाते हैं। वहां श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेकते हैं,प्रसाद चढ़ाते हैं और इसके बाद ही घर आकर कुछ भोजन करते हैं ।उस दिन गुरुद्वारे में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ होता है ।इस दौरान उन पर पंखा से हवा करने का काम लगातार चलता रहता है ।इस दिन श्री गुरु ग्रंथ साहिब को खूब अच्छी तरह से सजाकर रथ यात्रा भी निकाली जाती है। गुरु पर्व के दिन गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन किया जाता है। जिस समय से गुरु ग्रंथ साहब का अखंड पाठ प्रारंभ होता है उसी समय से लंगर प्रारंभ हो जाता है इसमें छोटे-बड़े,जाती पाती का भेद ना रखते हुए सभी को एक समान समझते हुए एक पंक्ति में ही बिठाकर लंगर कराया जाता है। इस प्रकार गुरु गोविंद सिंह का जन्म दिन मनाया जाता है।

  
गुरु गोविंद सिंह के बारे में महत्वपूर्ण बातें

1.गुरु गोविंद सिंह जी समुदाय के दसवें गुरु माने जाते हैं !

2.गुरु गोविंद सिंह का जन्म बिहार राज्य के पटना शहर में हुआ था ।

3.गुरु गोविंद सिंह एक वीर योद्धा थे ।

4.गुरु गोविंद सिंह एक महान कवि थे।

5. गुरु गोविंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु बनाया था।

6. गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी

7.गुरु गोविंद सिंह ने मुगलों के खिलाफ 14 युद्ध लड़े थे 

8.गुरु गोविंद सिंह को पहले गुरु गोविंद राय से जाना जाता था ।

9.16 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह का जन्मदिन मनाया जाता है। 
गुरु जी का जन्म गोविंद राय के नाम से 22 दिसंबर 1666 में हुआ था ।लूनर कैलेंडर के अनुसार 16 जनवरी ही गुरु गोविंद सिंह का जन्म दिन है।

10. सिर्फ 9 वर्ष की उम्र में वे दसवें सिख गुरु बन गए थे !

11.बचपन में ही गुरु गोविंद सिंह ने अनेक भाषाएं सीख ली थी जिसमें संस्कृत,उर्दू ,हिंदी ,ब्रजभाषा ,गुरुमुखी और फारसी शामिल है !

12.उन्होंने योद्धा बनने के लिए मार्शल आर्ट भी सीखा था।

Milad –un- Nabi / Eid – e- Milad

क्यों मनाया जाता है - Milad –un- Nabi / Eid –e- Milad

पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है । 

यह पर्व बहुत ही हसी खुशी के साथ मनाया जाता है। पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म इस्लामी माह 12 रबी उल अव्वल को हुआ था इसलिए मुस्लिम समुदाय इस दिन को ईद मिलादुन्नबी के रुप में मनाते हैं। 12 रवि उल अव्वल महीने का
का चांद दिखने के साथ ही घरों में मिलाद का आयोजन हसी खुशी के साथ शुरू कर दिया जाता है इस समय हजरत मोहम्मद साहब के जीवन पर प्रकाश डाला जाता है उनके बारे में जाना और समझा जाता है और उनके बताए रास्ते पर चलने की सीख दी जाती है ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर जुलूस का आयोजन किया जाता है और अखाड़ों में अपने जोहर का प्रदर्शन भी किया जाता है

एक नजर में ईद मिलादुन्नबी

1.   ईद मिलादुन्नबी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

2.   हजरत मोहम्मद साहब का जन्म इस्लामी माह 12 रबी उल अव्वल को हुआ था।

3. चांद दिखने के साथ घरों में मिलाद का आयोजन शुरु किया जाता है ।

4. ईद मिलादुन्नबी में पैगंबर मोहम्मद हजरत साहब के बताए राह पर चलने की सीख दी जाती है ।

5. ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर जुलूस का आयोजन किया जाता है ।


6. ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर अखाड़ों में अपनी कला का प्रदर्शन भी किया जाता है। 

Shortest day of year / 21 दिसंबर को क्यों होता है सबसे छोटा दिन ?

21 दिसंबर को क्यों होता है सबसे छोटा दिन ?

पृथ्वी अपने अक्ष पर साढे 23 डिग्री झुकी हुई है जिसके कारण सूर्य की दूरी पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध से अधिक हो जाती है और सूर्य की किरणों का प्रसार पृथ्वी पर कम समय तक ही हो पाता है  

21  दिसंबर के दिन सूर्य मकर रेखा के लंबवत होता है और कर्क रेखा को तिरछा स्पर्श करता है जिसके कारण इस दिन सूर्य जल्दी अस्त हो जाता है और चंद्रमा जल्द से जल्द अपना प्रकाश फैलाने लगता है । 

21 दिसंबर के दिन से क्या प्रभाव पड़ने लगता है ।

तो सबसे महत्वपूर्ण बात इस दिन के बाद मतलब 21  दिसंबर के अगले दिन से ही दिन बड़े होने प्रारंभ हो जाते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं । 21 दिसंबर के दिन से ही ठंड का प्रभाव अधिक होने लगता है जिसके कारण रात के समय  ओस की 
छोटी-छोटी बूंदें फसलों पर ज्यादा गिरती है जिसके कारण फसलों में नमी बनी रहती है और गेहूं और चने की फसल को इससे मजबूती मिलती है और इनकी पैदावार बढ़ जाती है

 

Tuesday, 23 May 2017

List of 2017 festival / 2017 के पर्व / त्यौहार


                    

JANUARY 2017


1 january- Sunday- English new year
2 January- Monday- Vinayak Jayanti
3 January- Tuesday- Skanda Sashti
5 January-Thursday- Guru Gobind Singh Jayanti 
8 January –Sunday- Tailang Swami Jayanti
13 January –Friday- Lohri
14 January –Saturday- Pongal ,Makar Sankranti
19 January-Thursday- Swami Vivekananda jayanti
23 January-Monday- Subhash Chandra Bose jayanti
26 January –Thursday- Republic Day

                                          February 2017

1 February -Wednesday- Vasant Panchami
10 February- Friday- Guru Ravidas Jayanti
21 February-Tuesday- Maharishi Dayanand Saraswati Jayanti
24 February –Friday- Mahashivratri
28 February –Tuesday- Ramakrishna Jayanthi
                    

March 2017


12 March -Sunday - Choti Holi, Holika Dahan, Chaitanya Mahaprabhu Jayanti
13 March- Monday- Holi
15 March –Wednesday- Shivaji jayanti
20 March- Monday- vernal Equinox, Parsi new year
28 march-Tuesday- Gudi padwa, Ugadi
29 March-Wednesday- jhuleal jayanti
                    

April 2017


1 April –Saturday- bank’s holiday
5 April -Wednesday- Ram Navami
9 April -Sunday- Mahaveer Swami Jayanti
10 April- Monday- Hazrat Ali birthday
14 April -Friday- Solar new year, baishakhi, Ambedkar Jayanti, Good Friday
16 April –Sunday- Easter
 22 April-Saturday- Vallabhacharya Jayanti
30 April –Sunday- Shankracharya jayanti

                                                                                May 2017

7 May- Sunday- Rabindranath Tagore Jayanti
10 May –Wednesday- Budha Purnima
28 May –Sunday- Maharana Pratap Jayanti

                                                                                June 2017

9 June- Friday- kabirdas Jayanti
21 june -Wednesday - longest day of year
23 June -Friday - Jamat ul vida
25 June -Sunday - Jagannath Rath Yatra
26 June- Monday- Eid-ul-fitr, Ramdan

                                                                                                                                 July 2017
30 july-Sunday- Tulsidas jayanti

                                                                August 2017

7 August -Monday - Rakhi, Raksha Bandhan
14 August- Monday - Janmashtami *Smarta
15 August –Tuesday- Janmashtami ISKCON .Independence Day
25 August -Friday - Ganesh Chaturthi

                                                                September 2017

2 September- Saturday- Eid- ul-Adha, Bakrid
4 September -Monday -Onam
21 September- Thursday- Maharaja Agrasen Jayanti
22 September- Friday- al-hijra, Islamic New year
23 September –Saturday- Equinox
28 September –Thursday- Durga Asthami
29 September –Friday- Maha Navami
30 September – Saturday-Dueeshra, Madhvacharya jayanti

                                                                October 2017

1 October -Sunday - day of Ashura, Muharram
2 October- Monday - Gandhi Jayanti
5 October –Thursday- Valmiki Jayanti, Meera Bai Jayanti
8 October –Sunday- Karwa Chauth
18 October -Wednesday - Narak Chaturdashi
19 October- Diwali, Laxmi Puja
20 October -Friday - Govardhan puja
21 October -Saturday - bhaiya dooj
26 October –Thursday- Chhath puja
                                                                November 2017

1 November –Saturday- Guru Nanak Jayanti
14 November –Tuesday- Nehru Jayanti

           December 2017

1 December –Friday- milad –un- Nabi, Eid –e- Milad
21 December –Thursday- shortest day of  year
25 December- Monday - Guru Gobind Singh Jayanti, Merry Christmas
29 December- Friday- Tailang Swami Jayanti


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