Wednesday, 24 May 2017

Guru Govind Singh details in hindi / गुरु गोविंद सिंह की जीवनी

नाम - गुरु गोविंद सिंह
जन्म तिथि -1666 ईस्वी
जन्म स्थान - पटना
पिता का नाम - गुरु तेग बहादुर साहब
माता का नाम - गुजरी
स्वर्गवास की तिथि – 7 अक्टूबर 1708

जन्म

बिहार राज्य की राजधानी पटना में गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 1666 ईस्वी में हुआ था । गुरु गोविंद सिंह ,गुरु तेग बहादुर साहब के इकलौते संतान के रूप में जन्मे ।गुरु गोविंद सिंह की माता का नाम गुजरी था।

श्री गुरु तेग बहादुर सिंह ने जब अपने गुरु गद्दी पर बैठने के पश्चात आनंदपुर में एक नए नगर का निर्माण किया था और उसके बाद भारत की यात्रा पर निकल पड़े थे। जब गुरु तेग बहादुर बिहार की राजधानी पटना पहुंचे तो वहां के लोगों ने उनसे प्रार्थना की कि गुरु पटना में रहे। ऐसे समय में गुरु तेग बहादुर सिंह अपने परिवार को पटना में ही छोड़कर बंगाल होते हुए आसाम की ओर चले गए पटना की संगत ने गुरु के परिवार को रहने के लिए एक सुंदर भवन का निर्माण करवाया,जहां गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ। तब गुरु तेग बहादुर को आसाम सूचना भेजा गया कि उनके पुत्र का जन्म पटना में हुआ है।

गुरु गोविंद सिंह के जन्म के समय सियाणा गांव में एक मुसलमान संत भीखण शाह फकीर भी रहते थे उन्होंने ईश्वर की बहुत भक्ति की थी जिसके कारण वह परमात्मा के समान ही लगते थे पटना में जब गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ उस समय भी भीखण शाह अपने गांव में समाधि में लिप्त थे उसी आस्था में उन्हें प्रकाश की एक नई किरण दिखाई दी ,जिसमें उन्होंने एक नवजात जन्मे बालक का प्रतिबिंब भी देखा। भीखण शाह  यह समझ गए हैं कि दुनिया में कोई ईश्वर के प्रिय पीर का अवतरण हुआ है यह कोई और नहीं गुरु गोविंद सिंह जी ही ईश्वर के अवतार हुए थे !

उनका पारिवारिक जीवन
       
गुरु गोविंद सिंह की तीन शादियां हुई थी जिसमें उनकी पहली शादी माता जीतू के साथ हुई। माता जीतू से उनको 3 पुत्र जुझार सिंह ,जोरावर सिंह और फतेह सिंह का जन्म हुआ उनकी दूसरी शादी सुंदरी देवी के साथ हुई थी सुंदरी देवी से उनको एक पुत्र अजीत सिंह हुए थे ।उनकी तीसरी शादी साहिब देवन से हुई थी उनसे उनको कोई संतान नहीं था उनके दो पुत्र अजीत सिंह और जुझार सिंह चमकोर नामक स्थान पर युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे और इनके दो पुत्र जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहिंद के नवाब ने अपना धर्म नहीं छोड़ने के कारण जिंदा दीवारों में चुनवा दिया था। गुरु गोविंद सिंह का सब कुछ लूट जाने के बाद भी उनके चेहरे पर कभी भी मायूसी नहीं आई थी, बल्कि देश को स्वतंत्र और शक्तिशाली बनाने का उनमें सदा जुनून रहा था इसलिए गुरु गोविंद सिंह को मानवता की रक्षा के लिए लड़ने वाला संत सिपाही की उपाधि दी गई थी।


उनके द्वारा किए गए कार्य-

गुरु गोविंद सिंह जी के महत्वपूर्ण कामों में सबसे महत्वपूर्ण काम है -खालसा पंथ की स्थापना ।

उन्होंने सन 1699 में बैसाखी के दिन खालसा जो सीख धर्म के दीक्षा प्राप्त अनुयायियों का एक सामूहिक समूह है उसका निर्माण किया। एक सभा में गुरु गोविंद सिंह ने कहा कौन है जो अपने सिर का बलिदान देगा और एक व्यक्ति अपने सिर का बलिदान देने के लिए तैयार हो गया उसे गुरु गोविंद सिंह पर्दे के पीछे ले गए और जब वह लौटे तो उनके हाथ में खून से सनी हुई तलवार थी फिर उन्होंने पूछा कौन अपना बलिदान देगा तो इस तरह 5 लोग तैयार हुए और हर बार वह उन्हें पर्दे के पीछे ले गए और हर बार खून से सनी तलवार लेकर लौटे लेकिन अंत में उन्होंने उन पांचो सिखों को सबके सामने लाया और उनको पहले पांच खालसा का नाम दिया और पांच खालसा बन जाने के बाद उन्हें छठवा खालसा का नाम दिया गया जिसके बाद उनका नाम गुरु गोविंद राय से गुरु गोविंद सिंह रख दिया गया। गुरु गोविंद सिंह जी एक योद्धा होने के साथ-साथ एक बेहतरीन कवि  भी थे गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु की पदवी को समाप्त करके गुरु ग्रंथ साहिब को सिक्खों का गुरु बनाया और आदेश दिया कि आगे से कोई भी देहधारी गुरु नहीं होगा और गुरु वाणी और गुरु ग्रंथ साहिब ही सिखों के लिए गुरु सामान्य होगी।


 गुरु गोविंद सिंह के उपदेश

1. गुरु गोविंद सिंह जी ने नशीले पदार्थ के सेवन का विरोध किया !

2. उन्होंने ध्रुमपान और अन्य मादक पदार्थों के सेवन का भारी विरोध किया है !

3.गुरु गोविंद सिंह जी ने जुआ खेलने का विरोध किया है दूसरे के धन को हड़पने की प्रवृत्ति को घातक बताया है !

4.गुरु गोविंद सिंह ने अपने शिष्यों को ब्रह्मचर्य का पाठ पढ़ाया है इसी कारण उनके शिष्य शरीर से बलशाली होते थे ।इसी कारण छोटी सी सेना ने मुगलों को नाको चने चबा दिया था उनके अनुसार यदि मनुष्य अपनी इंद्रियों को वश में कर ले तो वह जीवन में कुछ भी हासिल कर सकता है !

5.गुरु गोविंद सिंह ने अपने शिष्यों को सदा शस्त्र पास रखने और युद्ध कला में निपुण होने की सीख दी थी उनके अनुसार शस्त्रधारी सैनिक और भरी बंदूक की गोली के भय से लोग कानून का पालन करते हैं !

गुरु गोविंद सिंह के मुताबिक उनके शिष्य चाहे वह किसी जाति में उत्पन्न हुए हैं उन्हें केवल क्षत्रिय समझना चाहिए युद्ध क्षेत्र में मरना परम मंगल की बात है इस संसार रूपी युद्ध क्षेत्र में बहादुर वीर सैनिक अपना मस्तक ऊंचा रखता है। गुरु गोविंद सिंह ने हमेशा अपने शिष्यों को बहादुरी का पाठ पढ़ाया था और जब भी बहादुरी की बात आती है तो उनकी वह कहावत सदा याद की जाती है !

सवा लाख से एक लड़ाऊं
तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊं
चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊं
तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊं !
  
कैसे मनाया जाता है गुरु की जयंती ?

गुरु की जयंती के दिन सभी सिख स्त्री-पुरुष ,बच्चे-बूढ़े सुबह स्नान कर लेते हैं उसके बाद गुरुद्वारे जाते हैं। वहां श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेकते हैं,प्रसाद चढ़ाते हैं और इसके बाद ही घर आकर कुछ भोजन करते हैं ।उस दिन गुरुद्वारे में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ होता है ।इस दौरान उन पर पंखा से हवा करने का काम लगातार चलता रहता है ।इस दिन श्री गुरु ग्रंथ साहिब को खूब अच्छी तरह से सजाकर रथ यात्रा भी निकाली जाती है। गुरु पर्व के दिन गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन किया जाता है। जिस समय से गुरु ग्रंथ साहब का अखंड पाठ प्रारंभ होता है उसी समय से लंगर प्रारंभ हो जाता है इसमें छोटे-बड़े,जाती पाती का भेद ना रखते हुए सभी को एक समान समझते हुए एक पंक्ति में ही बिठाकर लंगर कराया जाता है। इस प्रकार गुरु गोविंद सिंह का जन्म दिन मनाया जाता है।

  
गुरु गोविंद सिंह के बारे में महत्वपूर्ण बातें

1.गुरु गोविंद सिंह जी समुदाय के दसवें गुरु माने जाते हैं !

2.गुरु गोविंद सिंह का जन्म बिहार राज्य के पटना शहर में हुआ था ।

3.गुरु गोविंद सिंह एक वीर योद्धा थे ।

4.गुरु गोविंद सिंह एक महान कवि थे।

5. गुरु गोविंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु बनाया था।

6. गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी

7.गुरु गोविंद सिंह ने मुगलों के खिलाफ 14 युद्ध लड़े थे 

8.गुरु गोविंद सिंह को पहले गुरु गोविंद राय से जाना जाता था ।

9.16 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह का जन्मदिन मनाया जाता है। 
गुरु जी का जन्म गोविंद राय के नाम से 22 दिसंबर 1666 में हुआ था ।लूनर कैलेंडर के अनुसार 16 जनवरी ही गुरु गोविंद सिंह का जन्म दिन है।

10. सिर्फ 9 वर्ष की उम्र में वे दसवें सिख गुरु बन गए थे !

11.बचपन में ही गुरु गोविंद सिंह ने अनेक भाषाएं सीख ली थी जिसमें संस्कृत,उर्दू ,हिंदी ,ब्रजभाषा ,गुरुमुखी और फारसी शामिल है !

12.उन्होंने योद्धा बनने के लिए मार्शल आर्ट भी सीखा था।

No comments:

Post a Comment

blog sift on this address -www. samadhanhai.com

 दोस्तों  यह ब्लॉग हमारी  नई www.samadhanhai.com पर sift   हो गई है ।