Sunday, 30 April 2017

Global Warming in hindi / Global warming ke karan

ग्लोबल वार्मिंग एक विश्व स्तरीय समस्या है। जिसके चलते पूरे धरती पर प्रभाव पड़ा है जिसके कारण काफी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं और सबसे महत्वपूर्ण समस्या यह है कि जो धरती पर जीवन है उस जीवन के बने रहने के लिए भी ग्लोबल वार्मिंग खतरनाक है अगर इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया या यह इसी गति से बढ़ता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब धरती भी बाकी ग्रहों की तरह बंजर और मानव विहीन होगी।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है ?

धरती के वायुमंडल में तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग है,इसका कारण प्रदूषण और ग्रीन हाउस इफेक्ट है। प्रदूषण और ग्रीनहाउस के कारण तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जिसके कारण यह ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हुई है।

ओजोन परत के कारण हमारे वायुमंडल के भीतर और धरती तक सूर्य की पारा वैगनी किरण नहीं पहुंच पाती थी लेकिन ओजोन परत के नष्ट होने के कारण सूर्य की पारा वैगनी किरण सीधे धरती तक आ रही है जिसके कारण धरती पहले से ज्यादा गर्म होती जा रही है ।
यहां पर जहां-जहां बर्फ की चादर हैं वह गर्मी के कारण जल्दी पिघल रही है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ कर हमारे सामने आज वर्तमान में उपस्थित है।


ग्लोबल वार्मिंग के होने के कारण -


1.ओजोन परत का हटना ।

2.ग्रीनहाउस गैस का बढ़ना ।

3.इंसानों की जनसंख्या में बढ़ोतरी ।

4.लगातार जंगलों का सफाया ।

5.कार्बन डाइऑक्साइड सूरज की गर्मी को अवशोषित करती है और यह ग्लोबल वार्मिंग का बहुत बड़ा कारण है क्योंकि इसकी मात्रा पेड़ों के कटने के कारण बहुत ज्यादा हो गई है। 

6.बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां जो बिना धुआ को साफ़ किए हुए बाहर निकाल देती है जिससे दुनिया में कार्बन मोनोऑक्साइड चला आता है।

ग्लोबल वार्मिंग में कमी लाने  के लिए उपाय -


वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग में कमी के लिए मुख्य रूप से सीएफसी गैस का उत्सर्जन रोकना होगा इसके लिए फ्रिज , एयर कंडीशन और दूसरे कुलिंग मशीनों का इस्तेमाल कम करना होगा या ऐसी मशीनों का उपयोग करना होगा जिससे CFC(chlorofluorocarbon) गैस कम से कम निकलती है। फैक्ट्रियों में चिमनियों से निकलने वाला धुआं हानिकारक है और इनसे निकलने वाला कार्बन डाइऑक्साइड गर्मी बढ़ाता  है। इन इकाइयों में प्रदूषण रोकने के उपाय करने होंगे वाहनों से निकलने वाले धुएं का प्रभाव कम करने के लिए पर्यावरण मानकों का सख्ती से पालन करना होगा रसायनिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे को फिर से उपयोग में लाने लायक बनाने की कोशिश करनी होगी और सबसे बड़ी बात पेड़ों की कटाई रोकनी होगी जंगलों को संरक्षण देना होगा हमें अक्षय  ऊर्जा के उपायों पर ध्यान देना होगा अगर कोयला से बनने वाली बिजली के बदले पवन ऊर्जा,सौर ऊर्जा और पनबिजली पर ध्यान दिया जाए तो वातावरण को गर्म करने वाली गैसों पर नियंत्रण पाया जा सकता है साथ ही जंगलों में आग लगने से भी रोकना होगा



कौन-कौन कितना जिम्मेदार


पावर स्टेशन - 21 .3%
इंडस्ट्री से -16.8%
यातायात और गाड़ियों से-14%
खेती से-12.5%
जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से-11.3 %
रिहायशी क्षेत्रों से-10.33%
बायोमास जलने से-10%
कचरा जलाने से-3.4%
एक बात सबसे खास है कि कोई भी यह मानने को तैयार नहीं है कि ग्लोबल वार्मिंग का कारण मैं हूं चाहे वह एक व्यक्ति हो,चाहे वह सरकार हो, चाहे वह विश्वस्तरीय कोई संगठन हो लेकिन महत्वपूर्ण बात यह होना चाहिए कि इसका समाधान कैसे हो अगर हर कोई मिल कर समाधान पर ध्यान दें तो यह समस्या सुलझ सकती है क्योंकि कहीं ना कहीं हम सबका इस समस्या में थोड़ा-थोड़ा योगदान है चाहे वह व्यक्तिगत रूप से हो,चाहे वह देश के स्तर पर हो,चाहे वह किसी विश्व स्तरीय संगठन के स्तर पर अगर हमने इसके समाधान पर ध्यान नहीं दिया तो जब धरती का नाश होगा तो हम सब का नाश होगा तो क्यों ना एक समझदारी दिखाई जाए और एक संगठित प्रयास किया जाए चाहे वह व्यक्तिगत प्रयास हो या विश्वस्तरीय प्रयास

व्यक्तिगत प्रयास से क्या कर सकते है -


व्यक्तिगत रुप से हम जो भी आधुनिक चीजे इस्तेमाल करते हैं जिससे धुआ निकलता है उसका जरूरत पड़ने पर प्रयोग करें जैसे अपने वाहन,जिससे सीएफसी गैस निकलती है उसका प्रयोग कम करें जैसे ac, फ्रिज , जिस से कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है जैसे कंप्यूटर,बाइक,कार इत्यादि का बेवजह इस्ते माल  ना करे
और सबसे महत्वपूर्ण बात हर व्यक्ति को हर साल कम से कम 5 पेड़ लगाने का संकल्प करना चाहिए जिससे कि वह जितनी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैस उत्पन्न कर रहा है उसको पेड़ अवशोषित कर ले इस तरह से हर व्यक्ति अपने द्वारा उत्पन्न कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा को कम करके ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ा सकता है।

कोई देश क्या कर सकता है ?


1.ग्लोबल वार्मिंग के लिए की समस्या को खत्म करने के लिए हर देश अपने दायरे के 23 % अनुपात पर जंगल स्थापित करें जो की एक निश्चित मात्रा है किसी भी देश में जंगलों के लिए।

2. फैक्ट्रियों से निकलने वाले रसायन और धुआं को साफ करके वातावरण में फैलने दे ताकि वातावरण पर उन दूषित गैसों का प्रभाव ना हो

3.एक समझदारी भरी पहल करे अपने जनता में ताकि सभी लोग जागरुक हो सके वातावरण के प्रति क्योंकि एक साधारण सी बात है की हम पेड़ों द्वारा छोड़े गए ऑक्सीजन को लेते हैं और हमारे द्वारा छोड़े गए कार्बन डाइऑक्साइड पेड़ लेते हैं तो अगर पेड़ खत्म हो गए तो हम निश्चित ही नष्ट हो जाएंगे जैसा की अन्य सौर मंडल के ग्रहों पर है और यह सुंदर ग्रह के बंजर होने के बाद हम सोच कर के  भी क्या करेंगे इसलिए समस्या बहुत विकट हो चुकी है यह जागरुकता लोगों में फैलाने की जरूरत है क्योंकि लोग ही किसी भी समस्या की वजह होते हैं और लोग ही किसी भी समाधान का कारण होते हैं।

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